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थर्मिट (Thermit) वेल्डिंग क्या होती है?

          

थर्मिट (Thermit) वेल्डिंग में थर्मिट मिश्रण का उपयोग विभिन्न भागों को जोड़ने के लिए किया जाता है। वेल्ड करने के लिए इस पिघले हुए मिश्रन को वेल्ड करने वाले भाग के चारों ओर रेत के सांचे में डाला जाता है पिघली हुई धातु के जमने के तुरंत बाद रेत के सांचे को तोड़ दिया जाता है और अतिरिक्त धातु को छेनी और हथौड़े से हटा दिया जाता है, ताकि वेल्ड को आवश्यक आकार दिया जा सके। इस प्रक्रिया में पिघला हुआ धातु प्राप्त करने के लिए थर्मिट मिश्रण को प्रज्वलित किया जाता है। सबसे अधिक उपयोग किए जाने वाला थर्मिट मिश्रण एल्यूमीनियम पाउडर और फेरिक ऑक्साइड का होता है जो प्रज्वलन पर इस प्रकार की प्रतिक्रिया देता है।

उदाहरण:-

8Al + 3 Fe3O4    ---->      9Fe + 4 Al2O3 + 3310 KJ/mol

(एल्यूमिनियम + धातु ऑक्साइड   ---->      धातु +एल्यूमीनियम ऑक्साइड+ गर्मी)

यह प्रतिक्रिया 15 से 20  सेकंड तक चलती है और इसमें पिघला हुआ आयरन , एल्युमीनियम स्लैग और हीट उत्पन होती है पिघली हुई धातु का उच्च तापमान लगभग 2450 डिग्री सेल्सियस होता है।

THERMIT WELDING SET-UP

           



थर्मिट वेल्डिंग का उपयोग

साइट पर रेल ट्रैक वेल्डिंग, केबल कंडक्टर, मजबूत सलाखों और धातुओं के टूटे हुए भागों और कई अन्य समान को रीपेयर करने और बनाने के लिए किया जाता है।

 

थर्मिट वेल्डिंग की प्रक्रिया

  1. सामग्री तैयार करें:

a)    थर्मिट पाउडर (एल्यूमिनियम और आयरन ऑक्साइड का मिश्रण)

b)    **मोल्ड (रेत या ग्रेफाइट से बना)

c)     स्पार्क इग्निशन सोर्स (मैग्नीशियम पट्टी या इलेक्ट्रिक इग्नाइटर)

  1. मेटल सतह की सफाई करें:

a)    गंदगी, जंग और ऑक्साइड को हटाएं।

  1. मोल्ड सेट करें:

a)    दोनों वेल्डिंग मेटल को जॉइन करने के लिए मोल्ड फिट करें।

b)    गैप को प्रीहीट करें ताकि वेल्डिंग सही हो।

  1. थर्मिट मिश्रण डालें और जलाएं:

a)    थर्मिट मिश्रण को क्रूसिबल (पिघलाने वाला बर्तन) में डालें।

b)    इसे मैग्नीशियम पट्टी या इलेक्ट्रिक स्पार्क से जलाएं

c)     जलने के बाद 2500°C से ज्यादा तापमान पर आयरन पिघलता है।

  1. पिघली हुई धातु को मोल्ड में डालें:

a)    यह पिघला हुआ आयरन दोनों मेटल को जोड़ देता है।

b)    कुछ मिनटों में वेल्डिंग ठंडी हो जाती है।

  1. मोल्ड हटाएं और फिनिशिंग करें:

a)    मोल्ड को हटाकर एक्स्ट्रा मेटल को ग्राइंडिंग से साफ करें।


थर्मिट वेल्डिंग के लाभ (Advantages)

मजबूत और परमानेंट जॉइंट: बिना किसी एक्सट्रा फीलर मेटल के यह बहुत मजबूत जॉइंट बनाता है।
बिजली की जरूरत नहीं: यह पूरी तरह से सेल्फ-एक्सोथर्मिक रिएक्शन पर आधारित है।
आसान और पोर्टेबल: इसे आसानी से दूरस्थ स्थानों पर किया जा सकता है।
लो मेंटेनेंस: एक बार सही से किया गया वेल्ड लंबे समय तक चलता है।
रस्ट और करंट रेजिस्टेंस: रेलवे ट्रैक और पावर ग्रिड में उपयोगी होता है।


थर्मिट वेल्डिंग की हानि (Disadvantages)

हाई टेम्परेचर खतरा: 2500°C से अधिक तापमान होने के कारण सुरक्षा बहुत जरूरी है।
सिर्फ कुछ मेटल्स के लिए उपयुक्त: यह केवल आयरन, स्टील और कॉपर जैसी धातुओं के लिए कारगर है।
धीमी प्रक्रिया: अन्य आधुनिक वेल्डिंग प्रोसेस (जैसे MIG/TIG) की तुलना में अधिक समय लगता है।
मोल्डिंग सेटअप जरूरी: हर बार नया मोल्ड बनाना पड़ता है, जो अतिरिक्त लागत बढ़ा सकता है।


थर्मिट वेल्डिंग के उपयोग (Applications)

🔹 रेलवे ट्रैक वेल्डिंग (रेल पटरियों को जोड़ने में)
🔹 इलेक्ट्रिकल ग्राउंडिंग सिस्टम (तांबे के तार और इलेक्ट्रोड को जोड़ने में)
🔹 पाइप और ब्रिज रिपेयर
🔹 मेटल स्ट्रक्चरल वर्क