DP TESTING क्या है ?
डाई पेनीटरेन्ट (DP Testing) टेस्टिंग मटेरियल की सतह पर दरारों और सूक्ष्म छिद्रों का, जिनको नंगी
आँखों से देखा नहीं जा सकता, की जांच करने के लिए एक टेस्टिंग है। यह Non Destructive Testing का एक अंग है और इंडस्ट्री में इसे DP (Dye Penetrant testing), LPI (Liquid
Penetrant Inspection) और PT (Penetrant testing) के नामों से जाना जाता है ।
DP TESTING कैसे
करते हैं ?
(a) सतह को DP Testing के लिए तैयार करना।
उन सभी स्थानों को अच्छे से साफ़ करना बहुत जरुरी है जहाँ पर भी DP testing की जानी है। यह सभी स्थान
धूल-मिट्टी, वेल्डिंग फ्लक्स, spatter, पेंट आदि से गंदे नहीं होने चाहिए ताकि टेस्टिंग के दौरान penetrant, cracks और surface defects के अन्दर आसानी से घुस सके । सतह को साफ़ करने के लिए solvent का इस्तेमाल
किया जाता है। यह solvent होते हैं-acetone, isopropyl alcohol, methyl chloride
आदि। साल्वेंट से साफ़ करने के बाद सतह को
अच्छे से सुखा लेते हैं।
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Dye-Penetrant Testing |
(b)
Penetrant लगाना और Dwell टाइम
Penetrant लगाने से पहले सतह का तापमान 500C से ज्यादा नहीं होना चाहिए। Penetrant को सतह पर किसी भी तरीके से लगाया जा सकता
है जैसे कि ब्रश से, छिड़क कर या फिर सारा भिगो कर। Penetrant लगाने के बाद 10-20 मिनट इन्तजार करते है ताकि यह डिफेक्ट/क्रैक
के बीच में घुस जाए। इस समय को dwell time कहा जाता है। Penetrant दरारों में capillary action के द्वारा घुस जाता है।
(c) अतिरिक्त Penetrant को हटाना
Dwell Time के बाद सतह
को solvent के द्वारा अच्छी तरह से साफ़ करें।
(d)
Development
Penetrant साफ़ करने के बाद developer लगाया जाता है । Developer मुख्यतः दो प्रकार के
होते हैं।
(a) Wet Developer
(b) Dry Developer
Developer लगाने के बाद 10 से 20 मिनट के अन्दर डिफेक्ट की Indication आने का इन्तजार करें। अगर visible dye का इस्तेमाल किया गया है तो लाल रंग की Indication सफेद रंग के background में आएगी। इस डाई में Defect को सामान्य लाइट में भी देख सकते हैं।
अगर
फ्लौरोसेंट डाई का इस्तेमाल किया गया है तो indication हरे रंग की होगी और ultraviolet light का use करने पर ही दिखाई देगी।
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Dye-Penetrant Indications |
DP TESTING में use होने वाले material यह हैं
(a) इसमें दो तरह penetrant use होते हैं
i. Florescent type
ii. Visible type
(b) Emulsifiers
Emulsifier वो द्रव्य होते हैं जो जरूरत से अधिक penetrant को साफ़ करने के काम आते हैं यह दो प्रकार के
होते हैं
i. Lipophilic (oil based)
ii. Hydrophilic (water based)
(c) Developers
यह मुख्यता
चार प्रकार के होते हैं
i. Dry पाउडर
ii. Water soluble
iii. Water suspendible
iv. Non aqueous solvent suspendible
DP testing के Advantages
(a) यह किसी भी Non Porous मटेरियल की सतह की जांच में इस्तेमाल की
सकती है ।ऐसा नहीं है की यह सिर्फ मेटल्स की टेस्टिंग के ही काम आती है।
(b) Dissimilar metal वेल्डिंग भी आसानी से इस टेस्टिंग से चेक की
जा सकती है।
(c) यह टेस्टिंग Non Magnetic Material पर
भी आसानी से की जा सकती है।
(d) इस टेस्टिंग में Aerosol Cans का उपयोग penetrant, developer और cleaner के भंडारण के लिए किया जाता है जिन्हें आसानी
से किसी भी स्थान पर ले जाया जा सकता है।
(e) इसमें बहुत कम उपकरण टेस्टिंग के लिए चाहिए।
इसलिए खर्चा भी कम आता है
DP testing के Disadvantages
(a) इस टेस्टिंग में सतह के नीचे के defects को नहीं जांच सकते।
(b) DP Testing में MPI testing से ज्यादा समय लगता है।
(c) DP Testing के बाद surface को अच्छी तरह से साफ़ करना पड़ता है ।