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Magnetic Particle Testing (MPT) क्या होती है।

                    

MPT एक ऐसी NDT तकनीक है जिसमे मटेरियल को बिना नुक्सान पहुंचाए, चुम्बकीय कणों के द्वारा सतह और सतह से कुछ नीचे तक के दोषों का पता लगाया जा सकता है। यह तकनीक सिर्फ लौहचुम्बकीय मटेरियल (Ferromagnetic material) पर ही काम करती है ौहचुम्बकीय मटेरियल होते हैं जैसे कि लोहा, निकल, कोबाल्ट और उनकी मिश्र- धातुएं इस NDT तकनीक में दूसरी NDT तकनीक के मुकाबले मटेरियल की सतह को टेस्टिंग के लिए बहुत अधिक तैयार करने की जरुरत नहीं पड़ती है। इसी कारण MPT से बहुत तेजी और आसानी से NDT टेस्टिंग की जा सकती है।

Magnetic Particle Testing से इन नॉन-मैग्नेटिक मटेरियल की जांच नहीं की जा सकती क्यों कि यह चुम्बकीय प्रभाव से मुक्त रहते हैं।

·         एल्युमीनियम

·         कॉपर

·         जिंक

·         Austenitic स्टेनलेस स्टील

 

Magnetic Particle Testing का सिद्धांत

MPT टेस्टिंग का सिद्धांत यह है कि जब किसी लौहचुम्बकीय मटेरियल को चुम्बकीय प्रवाह दिया जाता है तो उस मटेरियल के अंदर चुम्बकीय रेखाओं के पैदा होने से चुम्बकीय क्षेत्र बन जाता है। अगर उस मटेरियल में कहीं पर कोई दोष (fault) हो तो चुम्बकीय रेखाएं उस दोष वाले स्थान पर, एक दूसरा चुम्बकीय क्षेत्र बना देती हैं। अतः चुम्बकीय कणों के पाउडर को जब मटेरियल की सतह पर फैलाया जाता है तो यह कण दोष वाले स्थान पर उत्पन्न दूसरे चुम्बकीय क्षेत्र की ओर आकर्षित होते हैं और दोष वाले स्थान पर चिपक जाते हैं। जिन्हें हम आसानी से देख कर दोष का पता लगा सकते हैं।

 

Magnetic Particle Testing

Magnetic Particle Testing दो प्रकार की होती है।

1.       गीली मैग्नेटिक पार्टिकल टेस्टिंग (Wet Magnetic Particle Testing)

2.       सूखी मैग्नेटिक पार्टिकल टेस्टिंग (Dry Magnetic Particle Testing)

 

Magnetic Particle Testing को निम्नलिखित चरणों में किया जाता है।

1.       सतह की सफाई

2.       चुम्बकीय क्षेत्र को पैदा करना

3.       चुम्बकीय कणों का इस्तेमाल करना

4.       सतह पर उभरे हुए दोषों की जांच करना

5.       अगर जरुरत हो तो सतह को चुम्बकीय प्रभाव से मुक्त करना

6.       सतह को टेस्टिंग के बाद साफ़ करना

 

अन्य एनडीटी तकनीक के मुकाबले मैग्नेटिक पार्टिकल टेस्टिंग के यह लाभ हैं।

1.       MPT से बहुत तेजी और आसानी से NDT टेस्टिंग की जा सकती है।

2.       मटेरियल की सतह को टेस्टिंग के लिए बहुत अधिक तैयार करने की जरुरत नहीं पड़ती है।